Sunday, 21 September 2025

The 25th Hour.

पच्चीसवाँ घन्टा

आज विक्रम संवत् २०८२, शंकराचार्य संवत् २०३२, वीर निर्वाण संवत् २५५१, भारतवर्ष राष्ट्र के राष्ट्रीय शक संवत् १९४७ तथा शरद ऋतु के आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, ईस्वी सन् 2025 के सितंबर मास की 22 वीं तिथि है। 

कल 21 सितंबर की रात्रि 12:58 पर भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि पूर्ण हुई। परसों 20 सितंबर की रात्रि के 11:58 पर भाद्रपद मास की चतुर्दशी पूर्ण हुई। अर्थात् इस अमावास्या का तिथिमान 25 घंटे का था, जो कि ६१ घटी के तुल्य था। जो चन्द्र के तिथिमान पर आधारित है। चन्द्र की गति पर आधारित तिथि का मान शून्य या शून्य से अधिक हो सकता है। किसी चान्द्रमास में तिथि-क्षय और किसी में तिथि-वृद्धि का होना भी देखा जाता है।  लिखते लिखते ही याद आया कि वर्ष 1969 के दौरान

 एक हिन्दी पुस्तक पढ़ी थी जिसका शीर्षक था : पच्चीसवाँ घंटा

यह पुस्तक किसी विदेशी भाषा (संभवतः अंग्रेजी) में लिखी गई पुस्तक का हिन्दी अनुवाद था। 

अभी अभी, पोस्ट लिखते लिखते ही याद आया कि कल की चतुर्दशी तिथि का तिथिमान 25 घंटे था। अर्थात् उस तिथि का पच्चीस घंटे की अवधि का समय तब पूर्ण हुआ जब पच्चीसवाँ घंटा बीत चुका।

क्या आज के नवरात्र के प्रारंभ की यह वेला किसी नये युग के आगमन के समय का संकेत है?

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