Saturday, 17 September 2022

संस्कृत रचना

माननीय प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी

को उनके जन्म दिन पर सादर समर्पित

----------------------©-----------------------

अभी आधे घंटे पहले अतिथि चीतों के बारे में सोचते हुए एक संस्कृत रचना लिखने का प्रयास किया। ध्यान आया कि आज माननीय प्रधान मंत्री जी का जन्मदिन है। इसलिए ट्विटर पर ट्वीट् कर इसे उन्हें ही समर्पित कर दिया! और उसे ही  RT  कर दिया। 

इसका सामान्य अर्थ यह है :

वह तपस्वी उस वन में गया, जहाँ बाघ, चीते, सिंह, तेंदुए तथा शरभ आदि विचरते थे। फिर भी उनसे उसे न तो कोई भय हुआ और न ही विस्मय। वह उनके बीच वैसे ही निर्भयतापूर्वक रहने लगा जैसे कोई गजराज वन में भयरहित होकर रहा करता है।

--

The Ascetic went into the deep forest, where tigers, leopards, lions, jaguars and another such ferocious animal (-- named sharabh) freely roamed about. But the ascetic, - the noble Muni too lived among them without fear or bewilderment just like a fearless king-elephant, living in woods.

-- 





No comments:

Post a Comment