Wednesday, 6 July 2022

अनयोर्मुक्तो भवेत्।।

Know Thy Mind.

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कर्तृत्वमकर्तृत्वं यस्मिन् मनसि द्वे इमे।।

ज्ञात्वा तस्य स्वरूपे हि अनयोर्मुक्तो भवेत्।।

Having known the mind, where the sense 'I will do', 'I will not do' appear and disappear, one becomes free of both.

जहाँ 'मैं करूँगा', 'मैं नहीं करूँगा' उत्पन्न और विलीन होते हैं, उस मन के स्वरूप को जान लिये जाने पर मनुष्य कर्तृत्व तथा अकर्तृत्व दोनों ही संकल्पों / कल्पनाओं से मुक्त हो जाता है।

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