प्रणय से परिणय तक, और उसके बाद!
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तर्क और निष्ठा में प्यार हुआ तो घर-परिवार के लोगों ने खुशी खुशी उनका विवाह तो कर दिया और बहुत समय तक तो सब ठीक-ठाक चलता रहा। उनकी दो संतानें हुईं। पुत्र का नाम रखा गया प्रेम और पुत्री का नाम प्रीति रखा गया।
दोनों युवा और विवाह-योग्य हुए।
तब प्रेम का विवाह सफलता से, और प्रीति का विवाह यश से कर दिया गया।
प्रेम और सफलता का एक पुत्र हुआ, जिसका नाम विकास रखा गया।
प्रीति और यश की भी एक संतान, एक पुत्री हुई, जिसका नाम रखा गया प्रगति।
अब तर्क और निष्ठा वृद्ध हो चले थे। जीवन में उत्साह, उल्लास उमंग और शक्ति भी क्षीण हो चले थे। अंततः ब्रैन-हैमरेज से तर्क की मृत्यु हो गई। धीरे धीरे क्रमशः दुर्बल होते हुए अंततः निष्ठा भी हृदयाघात से चल बसी।
प्रेम और प्रीति अपने अपने परिवार में सुख-दुःख से जीते हुए अपना अपना जीवन बिता रहे हैं।
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